दिघलबैंक प्रखंड के बालूबाड़ी की रहने वाली परतिका बचपन से होठ कटे से थी पीड़ित
इलाज से लेकर आवागमन का भी खर्च उठाती है सरकार:- सिविल सर्जन
किशनगंज /प्रतिनिधि
जिले की दिघल्बेंक प्रखंड के बालूबाड़ी गांव के रहने वाले मंगल किष्कु अपनी बेटी परतिका को लेकर चिंतित रहते थे। छोटी सी बच्ची के होठ कटे हुए थे। परतिका को यह समस्या जन्म के समय से ही थी। निजी अस्पतालों में इलाज कराकर थक गए, लेकिन इस समस्या से निजात नहीं मिली। इलाज के लिए बाहर ले जाना पड़ता। उसके लिए काफी पैसे की जरूरत थी। आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं कि बच्ची का इलाज करा सके। इस चिंता से वे काफी परेशान थे। इसी दौरान वर्ष 2021 के नवम्बर महीने में राष्टीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के दल के द्वारा बालूबाड़ी गांव के आंगनबाड़ी केंद्र में स्क्रीनिंग के दौरान आशा लुकी हासदा ने बच्ची का स्क्रीनिंग करवाया । जहाँ परिवार को राष्टीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया गया इसके बाद बच्ची के पिता मंगल किष्कु परतिका को लेकर सदर अस्पताल आए और वहां पर आरबीएसके जिला कंसल्टेंट डॉ. ब्रहमदेव शर्मा से मिले। डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने पहले उनकी परेशानी को सुना और फिर एक-एक कर उसका समाधान बताया। फिर दृष्टि का इलाज शुरू हुआ। पहले भागलपुर ले जाया गया।
जहाँ परतिका के कटे होठ का सफलतापूर्वक इलाज कर दिया जाएगा। परतिका आज स्वस्थ है।
आशा लुकी हासदा ने इलाज के दौरान निभाया अहम् रोल
परतिका के पिता मंगल किष्कु बताते है की परतिका के कटे होठ का सफलतापूर्वक इलाज में आशा लुकी हासदा का अहम् रोल है वे न सिर्फ स्क्रीनिग बल्कि इलाज के दौरान भी परिवार के साथ भागलपुर गयी और सम्पूर्ण इलाज के समय परिवार के साथ रही और आज पुरे समाज में उसकी इस कार्य के काफी प्रशंशा हो रही है ।
पिता मंगल किष्कु राष्टीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम को ह्रदय से धन्यवाद कहा
पिता मंगल किष्कु राष्टीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम किसी वरदान से कम नहीं है। तभी तो वे कहते हैं, राज्य सरकार की राष्टीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से मेरी बच्ची को नया जीवन मिला है। इस बीमारी का इलाज तो था, लेकिन मैं आर्थिक तौर पर उतना संपन्न नहीं था कि इलाज करा सकूं। साथ ही आशा लुकी हासदा ने जैसे ही मुझे इस योजना के बारे में बताया मैं तत्काल सदर अस्पताल गया। वहां डॉ. ब्रहमदेव शर्मा से मिला। डॉ. ब्रहमदेव शर्मा और पूरी आरबीएसके की टीम ने मेरा भरपूर सहयोग किया। इसके लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूं।
शून्य से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए कार्य करती है आरबीएसके की टीम
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप व नाप तौल आदि करती हैं। फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिजीज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसेबिएलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है।
प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर हमारी टीम कर रही है कार्य :
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया की समाज के अंतिम व्यक्ति को भी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके, इसके लिए जिले के सभी प्रखंड में राष्टीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम तैनात है टीम इलाके का भ्रमण कर जरूरतमंदों को चिह्नित कर उन्हें सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित करती है। यही नहीं, जरूरतमंदों को सरकारी स्वास्थ्य आने से लेकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने तक हमारी टीम जरूरी सहयोग भी करती है। ताकि लोगों को सरकारी स्वास्थ्य सेवा का लाभ लेने में किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो और सभी लोगों को सुविधाजनक तरीके से सरकारी स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सके। वहीं, उन्होंने बताया, जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में हमारी टीम तैनात है। जिसमें दो चिकित्सक, एक एएनएम और फर्मासिस्ट शामिल हैं। वहीं, उन्होंने कहा, मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि जिनका भी बच्चा हृदय रोग से पीड़ित हैं, वह अपने स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र आकर हमारी टीम को सूचना दें। उनके बच्चे का पूरी तरह निःशुल्क समुचित इलाज करवाया जाएगा। योजना के माध्यम से बच्चों का इलाज पूरी तरह से निःशुल्क कराया जाता है, जिसका वहन सरकार करती है। वहीं, आवागमन का खर्च भी सरकार ही उठाती है। इससे मध्यम और गरीब परिवार के लोगों को आर्थिक मदद मिलती है। इसलिए इस योजना का लाभ सभी को उठाना चाहिए।