सराहनीय कार्य की बदौलत इलाके में बनाई अपनी अलग पहचान
स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने में आशा की भूमिका अहम – सिविल सर्जन
किशनगंज :आशा वर्कर यानी गांव की हेल्थ वॉरियर। यह पद केंद्र सरकार के अधीन होता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन(एनएचएम) के अंतर्गत आशा वर्कर की नियुक्ति गांव स्तर पर होती है। एनएचएम लोगों की सेहत से जुड़ी तमाम जानकारियां और योजनाएं बनाता है। इन बुनियादी जानकारियों को ग्रामीणों तक पहुंचाने और सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ उन्हें दिलवाने का काम होता है आशा कार्यकर्ताओं का। ये मुख्य रूप से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर काम करती हैं। पूरे गांव में कौन महिला गर्भवती है, किनके घर में छोटा बच्चा है, इसकी पूरी जानकारी आशा वर्कर्स रखती हैं। ये उन्हें प्रेग्नेंसी, पीरियड, टीकाकरण, ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी जानकारियां देती हैं। जरूरत पड़ने पर गांव के लोगों को अपने साथ अस्पताल भी लेकर जाती हैं। एक तरह से इन्हें गांव की फर्स्ट एड पर्सन कहा जा सकता है। ऐसे ही आशा कार्यकर्ताओं में जिले के तेधागाछ प्रखंड के भौरा पंचायत के फुलवारी गांव में कार्यरत आशा इंद्रा देवी का पूरे इलाके में नाम शुमार है। इंद्रा ना सिर्फ लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुँचाने में सफल रही बल्कि, लोगों को सरकारी स्वास्थ्य से जोड़ने में भी सफल रही।
बेहतर कार्य के लिए प्रखंड स्तर पर हो चुकी सम्मानित :
आशा कार्यकर्ता इंद्रा देवी परिवार नियोजन, टीकाकरण, कोविड, प्रसव, गृहभ्रमण समेत स्वास्थ्य से संबंधित अन्य क्षेत्रों में बेहतर कार्य के लिए प्रखंड स्तर पर सम्मानित हो चुकी हैं। इंद्रा ने 2015 में नौकरी शुरू की। वह अभी तक 600 से अधिक संस्थागत प्रसव करा चुकी हैं। उसके साथ ही 150 महिलाओं को अंतरा , 20 परिवार नियोजन ऑपरेशन , 4500 लोगों को कोविड टीका दिला चुकी हैं। इंद्रा कहती हैं कि क्षेत्र के लोगों को जब मैं टीकाकरण को लेकर जागरूक करती हूं तो उन्हें उस दौरान संस्थागत प्रसव के बारे में भी बताती हूं। उन्हें समझाती हूं कि यह कितना जरूरी और फायदेमंद है। इसका सकारात्मक असर पड़ा है। क्षेत्र के लोग अधिक-से-अधिक संख्या में अस्पताल आकर ही प्रसव कराते हैं। इसका लोगों को फायदा भी मिल रहा है। वो कहती हैं कि क्षेत्र में लोगों को समझाना और समाज में चल रही भ्रांतियाँ को दूर कर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करना आसान नहीं था। इस दौरान इंद्रा को अपने क्षेत्र के लोगों की काफी आलोचना, विरोध समेत तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा, पर इन परेशानियाँ से कभी ये घबराई नहीं। बल्कि, सकारात्मक उम्मीद के साथ अपने कार्य पर डटी रही । जिसका नतीजा यह हुआ कि जैसे-जैसे समय बीतते गया, वैसे-वैसे लोगों में सकारात्मक बदलाव होने लगे और इंद्रा की राह धीरे-धीरे आसान भी होने लगी। यही नहीं, जिसने शुरुआती दौर में जितना विरोध किया, वो उतना ही बदलने के साथ समर्थक भी बनने लगे। जिसका परिणाम यह हुआ कि बेहतर कार्य के लिए इंद्रा को प्रखंड में पुरस्कृत किया गया।
कोविड के मुश्किल भरे दौर में भी लोगों तक पहुँचाती रही स्वास्थ्य सेवा :
कोविड के मुश्किल भरे दौर में जब लोग घरों से बाहर निकलना खुद को महफूज नहीं समझ रहे थे। अपनों से भी दूरी बनाने लगे थे। तब ऐसे मुश्किल भरे दौर में भी आशा कार्यकर्ता इंद्रा देवी अपने कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटी, बल्कि अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रही और लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाती रही। परिवार नियोजन के प्रति भी सामुदायिक स्तर पर लोगों को पुराने ख्यालातों और भ्रांतियों से दूर कर बेहतर कार्य करने में सफल रही हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य से संबंधित अन्य कार्यों में भी बेहतर कार्य करने में सफल रही।
स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने में आशा की भूमिका अहम :
सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया, समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा का लाभ पहुँचाना और लोगों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों से जोड़ने के साथ-साथ खुद व परिवार का भी ख्याल रखना, निश्चित रूप से चुनौतियों और परेशानियाँ से भरा हुआ काम है। फिर भी जिले की सभी आशा जुटी हैं अपने कार्य में। इन्ही लोगों के लगन की वजह से आज हम स्वास्थ्य के किसी भी कार्यक्रम को आम लोगों तक शीघ्र ही पंहुचा सकते है । संक्रमण काल में बिना किसी परवाह के तमाम चुनौतियों और परेशानियाँ को नजरअंदाज कर जिले की सभी आशा अपने कर्तव्य पथ पर डटी रहीं। वहीं, उन्होंने बताया, चुनौती यह कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रति लोगों को नजरिये को बदलना और परेशानी यह कि खुद व परिवार का भी ख्याल रखते हुए समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुँचाना। आशा की मेहनत का सकारात्मक परिणाम यह है कि अब लोग खुद सरकार द्वारा जनहित में चलाई जा रही तमाम स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी लेने स्वास्थ्य केंद्र पहुंच रहे हैं। वहीं, उन्होंने बताया, पुरस्कार मिलने से कार्य करने का जज्बा और ऊर्जा दुगुनी होती और अन्य कर्मियों में भी अपने कार्य के प्रति जिज्ञासा बढ़ती है।