विश्व हाइपरटेंशन दिवस : तनावमुक्त जीवनशैली है मददगार,जानिए कारण और बचने के उपाय

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• इस वर्ष की थीम- “अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें’.
• 25% शहरी आबादी और 10% ग्रामीण आबादी हाइपरटेंशन से ग्रसित है।
• तनाव से बचें और लक्षणों की नहीं करें अनदेखी

किशनगंज :हाई ब्लडप्रेशर का ही दूसरा नाम हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप है। हमारे शरीर में मौजूद रक्त नसों में लगातार दौड़ता रहता और इसी रक्त के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऊर्जा और पोषण के लिए ज़रूरी ऑक्सीजन, ग्लूकोज, विटामिन्स, मिनरल्स आदि पहुंचते हैं। ब्लडप्रेशर उस दबाव को कहते हैं, जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ता है। आमतौर पर यह ब्लडप्रेशर इस बात पर निर्भर करता है कि हृदय कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है और रक्त को नसों में प्रवाहित होने में कितने अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। हाइपरटेंशन यानि उच्च रक्तचाप से बचाव की जागरूकता के लिए प्रत्येक वर्ष 17 मई को विश्व हाइपरटेंशन दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य हाइपरटेंशन जैसी घातक बीमारी का पता लगाने, उसे कंट्रोल या खत्म करना है। इस वर्ष के विश्व हाइपरटेंशन दिवस की थीम-“अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें’.” रखी गयी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार देश की करीब 32% से अधिक की आबादी उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। जिसमें 25% शहरी आबादी और 10% ग्रामीण आबादी हाइपरटेंशन से ग्रसित है। चिकित्सीय परामर्श के अनुसार 130/80 mmHg से ज्यादा रक्त का दबाव हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की श्रेणी में आता है।


आखिर क्या है हाइपरटेंशन :


हाइपरटेंशन (Hypertension) ब्लड प्रेशर से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें रक्तचाप तय मानक से ज्यादा हो जाता है। दरअसल, धमनियों के जरिए खून को दौड़ने के लिए प्रेशर की एक निश्चित मात्रा की जरूरत होती है। कई बार खून का बहाव सामान्य से ज्यादा हो जाता है तो यह धमनी की दीवार पर ज्यादा दबाव डालता है। इसे ही हाइपरटेंशन कहते हैं।

क्या है हाइपरटेंशन के कारण :


अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सुरेश प्रसाद ने बताया कि यह दो प्रकार का होता है। पहला एशेनशिएल हाइपरटेंशन जो मूलतः अनुवांशिक, अधिक उम्र होने पर, अत्यधिक नमक का सेवन तथा लचर एवं लापरवाह जीवनशैली के कारण होता है। दूसरा सेकेंडरी हाइपरटेंशन, जब उच्च रक्तचाप का सीधा कारण चिह्नित हो जाये तो उस स्थिति को सेकेंडरी हाइपरटेंशन कहते हैं। यह गुर्दा रोग के मरीजों तथा गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करने वाली महिलाओं में अधिक देखा जाता है। तनावग्रस्त जीवनशैली हाइपरटेंशन के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अलावा धूम्रपान करना, मोटापा, अत्यधिक शराब का सेवन, अच्छी नींद का ना लेना, चिंता, अवसाद, भोजन में नमक का अधिक प्रयोग, गंभीर गुर्दा रोग, परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास एवं थायराइड की समस्या ,हाइपरटेंशन का कारण हो सकता है।

ये लक्ष्ण दिखाई दे तो हो जाएं सावधान :


हाइपरटेंशन को शुरुआती लक्ष्णों से जाना जा सकता है एवं इससे बचा भी जा सकता है।
• सर में अत्यधिक दर्द रहना.
• लगातार थकावट का अहसास
• सीने में दर्द होना.
• सांस लेने में कठिनाई.
• दृष्टि में धुंधलापन
• पेशाब में खून आना
• गर्दन,सीने व बाहों में दर्द का लगातार बने रहना

सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया ख़राब जीवनशैली के कारण धीरे-धीरे किशोर एवं युवक भी इस गंभीर समस्या से पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए बिगडती जीवनशैली को ठीक करना बहुत जरूरी है। आहार में फास्टफ़ूड की जगह फलों का सेवन, सुबह जल्दी उठना एवं रात में जल्दी सोना, अवसाद एवं तनाव से बचना एवं नियमित व्यायाम से इस रोग से बचा जा सकता है। अधिकतर हाइपरटेंशन के रोगियों को मालूम भी नहीं रहता कि वह इससे ग्रसित हैं तथा इसके लक्षणों को नजरंदाज करते हैं। इसकी अनदेखी करने वाले मरीजों को गंभीर बीमारियों जैसे हृदयघात, मस्तिष्कघात, लकवा, ह्रदयरोग,किडनी का काम करना बंद हो जाना जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है।

विश्व हाइपरटेंशन दिवस : तनावमुक्त जीवनशैली है मददगार,जानिए कारण और बचने के उपाय