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बक्सर के पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री लालमुनी चौबे की मनायी गयी छठवी पुण्यतिथि

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कैमूर/भभुआ(ब्रजेश दुबे):

बक्सर के पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री लालमुनी चौबे की पुण्यतिथि 25 मार्च को मनायी गई। 25 मार्च 2016 को उनका निधन हो गया था। दिल्ली के एम्स में उपचार के दौरान स्वर्गीय चौबे ने अंतिम सांस ली थी। बक्सर की राजनीति में फकीर कहे जाने वाले लालमुनी चौबे यहां से चार बार सांसद रहे। आज के दौर में वैसे लोगों का होना मुमकिन ही नहीं बल्कि नामुमकिन है । आपको बताते चलें की लालमुनी चौबे का जन्म सरकारी दस्तावेजों के अनुसार 6 सितम्बर 1942 में बिहार के कैमूर, जिला अंतर्गत चैनपुर प्रखंड के ग्राम-कुरई मे हुआ था। अपनी इमानदारी के लिए वे हमेशा प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीतिक गलियारों में माने जाते थे।

राजनीति में इमानदारी की मिसाल पेश करने वाले लालमुनी चौबे किसान के बेटे थे। छात्र राजनीति के दौरान ही उनका संपर्क अटल बिहारी वाजपेयी से हुआ। वे उनके काफी नजदीक रहे। उन्होंने 1969 में चैनपुर विधानसभा सीट से जनसंघ पार्टी के उम्मीदवार के रुप में पहली बार दीपक छाप से चुनाव जीत बिहार की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी। वे विधायक बने तो अपनी मां को दर्शन कराने मंदिर ले गए। वहा से उनकी राजनीति का सफल दौर प्रारंभ हुआ। अपने राजनीतिक जीवन में वे हमेशा कम खर्च में चुनाव जीतने वाले नेता के रुप में भी जाने जाते रहे । इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस विधानसभा से यह चार बार विधायक चुने गए। वर्ष 1995 में वे यहां से चुनाव हार गए, क्योंकि वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उनके क्षेत्र के मुसलमान नाराज थे। जिसका खामियाजा इनको भुगतना पड़ा। इसके बाद वे वर्ष 1996 में बक्सर लोकसभा से चुनाव लड़े, जहां से उनकी जीत का सफर प्रारंभ हुआ। । 

वर्ष 1974 में जेपी का आंदोलन चरम पर था। लालमुनी चौबे पहले नेता थे, जिन्होंने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर आंदोलन में हिस्सा लिया। 1975 में जब देश में आपातकाल लागू हुआ तो उन्हें वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस से बचने के लिए उन्होंने गंगा में छलांग लगा दी। तैर कर दूसरे घाट पर निकल गए, पर पुलिस ने उनको गिरफ्तार कर चौका घाट जेल में रखा। जब बिहार में अगली सरकार बनी तो उन्हें राज्य का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। उस समय कर्पूरी ठाकुर सीएम थे। बाद में दलगत असंतोष के कारण उनकी जगह रामसुंदर दास बिहार के सीएम बने। इस दौर के राजनेतओं में लालमुनी चौबे सबसे स्वच्छ छवि के युवा नेता माने जाते थे।


उनको जानने वाले लोग बताते हैं कि स्व: चौबे स्वभाव से अक्‍ख्‍ड़ थे, जिसका परिणाम रहा कि उनके राजनीतिक जीवन में कभी रुपये की लेनदेन आरोप नहीं लगा। वे कहीं भी, किसी के यहां रहने-खाने में गुरेज नहीं करते थे। अर्श पर जाकर भी वे हमेशा फर्श पर सोते थे। चुनाव अभियान के दौरान वे हमेशा शहर के स्टेशन के पास स्थित चौरसिया लाज में ठहरते थे। छोटे कमरे में पलंग का बिस्तर हटा कंबल बिछा बेड़ पर सो जाते थे। फक्कड़ का यह उनका स्वभाव आजीवन बना रहा। बिहार भाजपा की राजनीति में वे कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते थे। बावजूद इसके उन्होंने कभी भी अपनों को राजनीतिक लाभ नहीं दिलाया। इसका नतीजा यह है कि आज उनके दौर या उनके बाद राजनीति में आए हर बड़े नेता के परिवार से लेकर बेटे तक राजनीति में सक्रिय हैं, पर उन्होंने कभी भी इसकी वकालत नहीं की। उनके बारे में एक आम धारणा थी, वे न तो किसी की पैरवी करते थे न किसी का विरोध। अपनी चुनावी सभा में भी उनके भाषण की शुरुआत इस बात से करते थे’जो वोट दे उसका भी भला, जाे न दे उसका भी भला।

इस मौके पर उनके जेष्ठ पुत्र हेमंत चौबे ने कहा कि उनके बताए गए राहों पर चलकर मैं अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं उन्होंने कहा कि उनका कहना था कि ईमानदारी सबसे बेस्ट राजनीति है। कभी भी बेईमानी की राह पर नहीं चलना चाहिए उन्हीं के बताए गए राह पर मैं चल रहा हूं उनसे जब भी मेरी मुलाकात होती थी वह बताते थे कभी भी बेईमानी नहीं करना चाहिए बेईमानी करना भी चाहिए तो समाज के उत्थान व विकास के लिए राज्य के लिए और राष्ट्र के लिए करना चाहिए न कि अपने परिवार के लिए और उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कभी भी भोग और विलासिता का जीवन नहीं व्यतीत किया गया गद्दा रहते हुए भी जमीन पर सोते थे। गांधीजी के तरह वे सादा जीवन व्यतीत करते थे । उन्हीं के राहों पर चलकर मैं भी अपना जीवन व्यतीत कर रहा हूं । उनके बताए गए राहों पर चलना ही उनके प्रति मेरी सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी। बता देगी स्वर्गीय चौबे के जेष्ठ पुत्र हेमंत चौबे आज भी गरीब असहाय निर्धन का सेवा करने में गुरेज नहीं करते सदा इनके साथ चलने का हमेशा प्रयास करते रहते हैं। यही नहीं गरीब असहाय लोगों का साथ देते रहते हैं। आपको बता दें कि चैनपुर क्षेत्र के अलावे जिले के लगभग क्षेत्रों में सबके सुख दुख में साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का काम भी करते रहते हैं।

बक्सर के पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री लालमुनी चौबे की मनायी गयी छठवी पुण्यतिथि

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