कैमूर/भभुआ(ब्रजेश दुबे):
नेहरू युवा केंद्र भभुआ कैमूर के सात दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन सरदार वल्लभभाई पटेल महाविद्यालय भभुआ के भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेंद्र नाथ तिवारी ने methods and techniques for plantation drive, collection and safe disposal of polythene bags विषय पर सभी छात्र और छात्राओं को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हेतु इन दोनो लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हमे स्वयं और अपने परिवार के स्तर से शुरु वात करने की जरूरत है। सरकार और गैर सरकारी संगठनों की आवश्यकता तो बाद में पड़ेगी। समावेशी जीवन शैली तो भारतीय संस्कृति के मूलभूत केंद्र में है। हमारे गांवो में कूड़ा कही जमा नही होता था। आधुनिक जीवन शैली के चक्कर में हमने पॉलिथीन के विषैले जहर को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया जो हजारों वर्षो तक स्वयं से गल कर निस्तारित नही हो सकता।
ऐसे में हमे जरूरत है कि हम इनका कम से कम प्रयोग करें। जहां भी जाएं एक फोलडेबल बैग रखे। यदि हमारे घर पॉलिथीन आ भी जाए तो सब सामान खाली कर उसको अलग रख दें। आजकल गांव और शहर में दो तरह के कूड़ेदान रखे जाते हैं। डिग्रेडेबल यानी हरा रंग और नॉन डिग्रेडेबल यानी ब्लू रंग। तो पॉलिथीन और बैटरी जैसी चीजें नॉन डिग्रेडेबल श्रेणी में आती हैं। वहां से गांव या नगर पालिका वाले उनको छांट कर रिसाइकलिंग यूनिट में भेज देते हैं। कोई भी मेटल, बैटरी, पॉलिथीन सब को रिसाइकल किया जा सकता है।
खाद्य पदार्थों, कागज और कपड़ो को डिग्रेडेबल श्रेणी में अलग करने की जरूरत है। प्लांटेशन या पौधा रोपण के लिए एक नारा सभी को हर जगह पहुंचाने की आवश्यकता है कि हम जहां भी रहे चाहे वो घर, दुकान और संस्थान हो हमे एक तिहाई यानी 33 प्रतिशत हरियाली चाहिए। हमारे यहां वो रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट डाटा से सिर्फ 19 प्रतिशत है और वन विभाग के आंकड़ा से 24 प्रतिशत, यानी हम सभी की जिम्मेदारी है कि वर्तमान से 10 से 15 प्रतिशत हरियाली बढाने की।
इसके लिए भी स्वयं और परिवार के स्तर पर सबसे जरूरी पहल की आवश्यकता है। सरकार और गैर सरकारी संगठनों की आवश्यकता तो बाद में है। हम सभी अपने घरों और कार्यस्थलों में यह सुनिश्चित करें कि ज्यादा से ज्यादा अच्छे हवादार पौधों को लगाकर उनका लालन पालन भी करें। हमारी समस्या वहीं दूर हो जाती है। सिर्फ मीडिया और आंकड़ों की बाजीगरी करने के चक्कर में हमने 1985 से आजतक कोई विशेष achieve नही किया है।जन जागरूकता बहुत जरूरी है। नई पीढ़ी यदि हमारे समावेशी यानी sustainable way of life को अपना लेती है तो हमारा, हमारे समाज, देश और विश्व का भविष्य भी उज्ज्वल होगा। सरदार वल्लभभाई पटेल महाविद्यालय के डा धनंजय कुमार राय ने कई औषधीय पौधों के बारे में बताया।