- टीबी के मरीजों की जांच व दवा की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है
किशनगंज ; टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, बशर्ते समय से सही उपचार शुरू कर दिया जाए तो मरीज स्वस्थ हो सकते हैं। इसी बात को सार्थक कर रही हैं जिला के दिग्हलबैंक प्रखंड अंतर्गत पत्थरघट्टी पंचायत के स्टेट टोला निवासी निखत प्रवीन। मई माह में उसे लगातार खांसी हो रही थी। खासी की दवा लगातार 15 दिन तक खाने के बाद भी आराम नहीं मिलने पर स्थानीय आशा दीदी के सहयोग से निखत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दिघलबैंक पहुंची । वहां जांच करवाने पर पता चला कि उसे टीबी (क्षय रोग ) हो गया है । यह सुनते ही वह और उनके पति काफी घबरा गये लेकिन स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर के समझाने पर उसे काफी हिम्मत मिली।लगातार दवा खाने का प्रण कर वह घर जाती है । उस दिन से वह रोज दवा का सेवन करती है। छह माह के नियमित इलाज के बाद उन्होंने टीबी को हरा दिया। उसका नतीजा यह है कि वह बिलकुल ठीक हो चुकी है । निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान खाते में पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह भी आते थे । बीमारी के दौरान भी नियमित रूप से काम किया । इस दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई । निखत लोगों को यह सलाह देना चाहती हैं कि टीबी होने पर घबरायें नहीं। सकारात्मक सोच रखें। नियमित दवा का सेवन करें और पौष्टिक भोजन करें। टीबी पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है । टीबी रोग को छिपाए नहीं । यदि घर में या आस-पास टीबी का कोई संभावित रोगी है तो उसे पास के स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाएँ और जांच करायें।
टीबी के मरीजों की जांच व दवा की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पताल में निःशुल्क उपलब्ध है :
जिले के संचारी रोग पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया टीबी एक संक्रामक बीमारी है। लेकिन सामूहिक रूप से भागीदारी होने के बाद इसे जड़ से मिटाया किया जा सकता है। टीबी संक्रमित होने की जानकारी मिलने के बाद किसी रोगी को घबराने की जरूरत नहीं है। बल्कि, लक्षण दिखते ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करानी चाहिए। क्योंकि यह एक सामान्य सी बीमारी है और समय पर जाँच कराने से आसानी के साथ बीमारी से स्थाई निजात मिल सकती है। इसके लिए अस्पतालों में मुफ्त समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। टीबी संक्रमण की पुष्टि होने पर पूरे कोर्स की दवा रोगी को मुफ्त उपलब्ध करायी जाती है। जांच से इलाज की पूरी प्रक्रिया बिल्कुल नि:शुल्क है।
टीबी मरीजों के लिए काफी मददगार है “निक्षय पोषण योजना” :
सिविल सर्जन डॉ सुरेश प्रसाद ने बताया कि टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये प्रतिमाह दिए जाने वाली निक्षय पोषण योजना बड़ी मददगार साबित हुई है। नए मरीज मिलने के बाद उन्हें 500 रुपये प्रति माह सरकारी सहायता भी प्रदान की जा रही है। यह 500 रुपये पोषण युक्त भोजन के लिए दिया जा रहा है। टीबी मरीज को आठ महीने तक दवा चलती है। इस आठ महीने की अवधि तक प्रतिमाह पांच 500-500 रुपये दिए जाएंगे। योजना के तहत डी बी टी के माध्यम से राशि सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। वहीं टीबी मरीजों के नोटीफाइड करने पर निजी चिकित्सकों को 500 रुपये तथा उस मरीज के पूरी तरह से ठीक हो जाने के बाद भी निजी चिकित्सकों को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। वहीं ट्रीटमेंट सपोर्टर को अगर कोई टीबी के मरीज छह माह में ठीक हो गया है तो उसे 1000 रुपये तथा एमडीआर के मरीज के ठीक होने पर 5000 रुपये की प्रोत्साहन दी जाती है। अगर कोई आम व्यक्ति भी किसी मरीज को सरकारी अस्पताल में लेकर आता है और उस व्यक्ति में टीबी की पुष्टि होती है तो लाने वाले व्यक्ति को भी 500 रुपये देने का प्रावधान है।
टीबी से ठीक हुए मरीज समाज में लोगों को जागरूक करने के लिए आगे आएं :
निखत प्रवीन बताती हैं कि सदर अस्पताल के टीबी डिपार्टमेंट के सभी लोगों ने इलाज के दौरान मेरा पूरा सहयोग किया और वह समय समय पर परामर्श देते रहते थे । साथ ही मुझे मेरे परिवार का पूरा सहयोग मिला। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि जिस प्रकार निखत ने छह माह के नियमित इलाज के बाद टीबी को हरा दिया और उसका नतीजा यह है कि वह बिलकुल ठीक हो चुकी है । उसी तरह मैं सभी से अपील करता हूं कि जो लोग निजी संस्थानों अथवा सरकारी चिकित्सालयों से टीबी के इलाज के बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुके हैं वह अपने आसपास के टीबी से संक्रमित.लोगों को पूरा इलाज करने के लिए प्रेरित करें और समाज को टीबी मुक्त बनाने में अपनी महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका को निभायें।