किशनगंज /प्रतिनिधि
राष्ट्रीय बैंकों के निजी करण के विरोध में आहूत दो दिवसीय राष्ट्र व्यापी बैंक हड़ताल के पहले दिन आज किशनगंज के विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों ने काम बंद कर जम कर विरोध प्रदर्शन किया है ।स्टेट बैंक सहित अन्य सरकारी बैंकों के कर्मचारियों ने वित्त मंत्री मुर्दाबाद,निजी करण बंद करो का नारा लगाते हुए प्रदर्शन किया है ।
हड़ताली बैंक कर्मियों ने कहा कि बैंकों के निजी करण से आम आदमी को आज जो सुविधा मिल रहा है वो नहीं मिलेगा एवं परेशानी बढ़ेगी इसलिए निजी करण विधेयक जिसे सरकार संसद में पेश करने वाली है उसे पेश नहीं किया जाना चाहिए।मालूम हो कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने 16 और 17 दिसंबर को दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है ।बैंकों के निजीकरण करने की सूचना से स्टेट बैंक के कर्मचारी काफी आक्रोशित है। बैंक कर्मी प्रदीप सिंह ने कहा सरकार मनमाने तरीके से निजी करण कर रही है जिसे बैंक कर्मी कभी बर्दास्त नहीं करेंगे ।उन्होंने कहा कि जन धन खाता सहित अन्य कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर हमलोगो के द्वारा किया गया लेकिन आज हमारे हित से खिलवाड़ करने की कोशिश की जा रही है जो की अनुचित है ।
बैंक कर्मियों ने कहा पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि कैसे ग्लोबल ट्रस्ट बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक और यस बैंक दिवालिया हुए हैं। इन बैंकों में जमाकर्त्ताओं का पैसा और कर्मचारियों की नौकरी को बचाने के लिए। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आगे आना पड़ा था। बैंकों के निजीकरण को ध्यान में रखते हुए ही सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मर्जर कर उनकी संख्या को 27 से घटाकर 12 कर दिया है। परिणामस्वरूप 3331 बैंक शाखाएं बंद हो गई और 74000 कर्मचारी बैंक की नौकरी से बाहर हो गए। अब पदों को ज्यादा से ज्यादा ठेका मजदूरों को भरा जा रहा है। ठेका मजदूरों को मनमानी आधार पर नौकरी से निकाल दिया जाता है। क्योंकि उन्हें नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं है। यदि बैंकों का निजीकरण होता है तो यह प्रक्रिया और भी तेज होगी।
विरोध प्रदर्शन में शामिल लोगों ने कहा कि निजी करण से बैंक शाखाओं और स्टाफ की कमी का ग्राहक सेवा पर सीधा विपरीत प्रभाव पड़ेगा। बैंकों में एनपीए लगातार बढ़ रहा है। इससे बैंकों की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। एनपीए के लिए मुख्यता बड़े कारपोरेट घराने ही जिम्मेदार हैं बहुत से केसों में कारपोरेट का कर्ज बट्टे खाते राइट ऑफ में डाल दिया जाता है। केन्द्रीय सरकार द्वारा बजट के माध्यम से सरकारी बैंकों में पूंजी डाली जाती है ताकि बैंकों की आर्थिक हालत सुधर सके। इस प्रकार जनता का पैसा पिछले दरवाजे से कारपोरेट के जेब में चला जाता है। मौजूदा केन्द्र सरकार कॉरपोरेट की सेवा में कर्मचारी और जनविरोधी नीति पर चल रही है।
इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से प्रदीप सिंह, अभिषेक कुमार, प्रकाश कुमार , प्रियतोष, सब्रो राय, उर्वशी,धर्मवीर,बृजेश, शशि भूषण, दिलीप रजक, अमित कुमार , सुजीत कुमार ,मनोज महतो, दिलीप राय, अभिमन्यु ,पप्पू, नवजीत सहित दर्जनों दर्जनों बैंक कर्मी मौजूद रहे।
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