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चीन चल रहा चतुर चाल, भारत को घेरने को ड्रैगन कई ‘नापाक’ योजना पर कर रहा काम -कुमार राहुल

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संपादकीय /कुमार राहुल

चीन कई बार अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जता चुका है, जिसे वह दक्षिण तिब्बत कहता है। 1962 में चीनी सेना ने यहां धावा बोल दिया था ,और अब चीन के एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ने, सामरिक स्तर पर भारत के लिए चिंता पैदा कर दिया है। 40630 करोड रुपए की लागत की 435 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन इसी महीने शुरू होने की संभावना है ।यह तिब्बत की राजधानी ल्हासा को पूर्वी शहर नि’गची से जोड़ेगी ।जिसे तिब्बती सूर्य का सिंहासन कहते हैं ।नई रेलवे लाइन ब्रह्मपुत्र नदी (चीन जिसे यारलंग त्सांगपो नदी कहता है )के  ऊपर हिस्से से 16 बार पार करती है ।

तिब्बत से अब बर्मा चलते हैं।जिसेअब Myanmar कहा जाता है। china ने myanmar के साथ एक मल्टी billion-dollar  ,deep sea port  kyaukpya बनाने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है । जो कि Bay of Bengal.coast per है। इतना ही नहीं चाइना के साथ myanmar के कई  रोड , Bridges, रेलवे नेटवर्क पर कई बायलेटरल प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जहां बरसों से काफी चाइनीस spy और लोगों की मौजूदगी रहती है ।चीन मालदीव, बांग्लादेश के चित्तगांव पोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भी बेतहाशा पैसा लगा रहा है। श्रीलंकाई संसद में पिछले दिनों पारित हुए कोलंबो पोर्ट सिटी इकोनामिक कमीशन बिल ने देश की राजधानी कोलंबो में एक नए चीनी प्रांत की राह साफ कर दी है इस बिल के जरिए कोलंबो पोर्ट सिटी के निर्माण के लिए एक आयोग को मंजूरी दी गई है .7 सदस्यों के आयोग में 5 सदस्य श्रीलंकाई और दो चीनी नागरिक होंगे ।आयोग ही पोर्ट सिटी में प्रवेश और टैक्सेशन आदि से जुड़े सभी फैसले लेगा। पोर्ट में प्रवेश के लिए विशेष पासपोर्ट की जरूरत होगी ।यहां किसी भी विदेशी करेंसी के इस्तेमाल की छूट होगी ।यानी यहां चीनी करेंसी युवान ही चलेगा ।






सामरिक एवं रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत के दक्षिणी छोर पर एक नया खतरा पैदा हो गया है। कोलंबो से कन्याकुमारी की दूरी महज  290 किलोमीटर है ।यानी इतनी ही दूरी पर चीन की स्थाई मौजूदगी बनी रहेगी ।श्रीलंका में ही चीनी कंपनी चाइना हारबर  इंजीनियरिंग कंपनी की (CHEC)को 99 साल के लीज  पर 153 एकड़ जमीन दिया गया है ,जहां स्पेशल इकोनामिक जोन बनाया जा रहा है ।इसका पूरा प्रबंधन एक आयोग के हाथ में होगा। श्रीलंकाई विपक्षी दलों का कहना है ,कि यह आयोग श्रीलंकाई कानूनों से भी ऊपर होगा। यहां आयोग के जरिए चीनी शासन चलेगा ।अब श्रीलंका से थोड़ा ऊपर पाकिस्तान की सीमा की बात करते हैं china-pakistan इकोनामिक कॉरिडोर के तहत चीन यहां 62 बिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इस निवेश के बदले पाकिस्तान की विदेश नीति पर उसका दखल साफ दिखता है ।चीन ग्वादर पाकिस्तान में एक  port बना रहा है। जिसे “वन बेल्ट वन रोड” सड़क के रास्ते चीन से जोड़ा जा रहा है ।जिससे  तहत पाकिस्तान ने बालटिस्तान यानी  POK का काफी बड़ा हिस्सा चीन को कंट्रोल में दे दिया है।

अपना सबसे निकटतम पड़ोसी नेपाल, अभी हाल में नेपाली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने चीन यात्रा के दौरान चाइनीस इन्वेस्टर को आकर्षित करने मे काफी सफलता पाई। अपना सबसे निकटतम पड़ोसी नेपाल ,..अभी हाल में नेपाली राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने चीन यात्रा के दौरान चाइनीस इन्वेस्टर को आकर्षित करने के मैं काफी सफलता पाई ।और वहां के प्राइम मिनिस्टर के तो क्या कहने, Mr केपी शर्मा ओली अक्सर भारत विरोधी बयान देते रहते हैं ,इसके पीछे भी चीन का कर्ज और निवेश है ।बदले में चीन  की नेपाल की राजनीतिक मे   दखल साफ झलकती है। चीन, काठमांडू को तिब्बत से रेलवे द्वारा जोड़ने  की प्लानिंग कर रहा है। सियाचिन दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में हमारे जवान लगातार चीन के दखल अंदाजी का सामना कर रहे हैं।






लद्दाख की गलवान घाटी का खूनी संघर्ष आप सभी के जेहन में होगा  ही, आज भी स्थिति तनावपूर्ण ही है। भारत और चीन लगभग 3488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं ,साथ ही भारत के पड़ोसियों को कर्ज  देकर , भारत के विरुद्ध लगातार जाल बिछा रहा है,  इस कारण इन जगहों से हमारे बड़े   शहर attack का  सबसे आसान ठिकाना है। अब सवाल यह है, कि चीन हमारी आंखों के सामने हमारे पड़ोसी देशों में डेवलपमेंट एवं कर्ज देकर भारत को लगातार घेर रहा है ,तो फिर हम लोग क्या कर रहे हैं ।हमारी विदेश नीति सभी मोर्चों में विफल क्यों रही है? साथ ही भारत के पास इतना पैसा ही नहीं है, जो अपने पड़ोसी देशों के विकास के लिए इन्वेस्ट कर सकें।

आपको जानकर आश्चर्य होगा, कि भारत में भी चीन ने लगभग 4 बिलियन डॉलर यानी 296474000000 रुपए का इन्वेस्टमेंट  स्टार्टअप कंपनियों में किया हुआ है। साथ ही भारत की 20 में से 18 यूनिकॉर्न (यानी वैसी स्टार्टअप जिसकी वैल्यू एक बिलियन डॉलर से अधिक है) मे चाइनीज इन्वेस्टमेंट है ।एशिया- ओसिनिया  क्षेत्र में चीन का इन्वेस्टमेंट 2020 तक 30.8 billion dollar का  रहा है। जबकि दिसंबर 2020 तक total Chinese foreign portfolio investment 110 .8  billion dollar का है । आज हम 5 ट्रिलियन डॉलर की  इकोनॉमी बनाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं ,वह भी कागजों में की कोशिश कर रहे हैं ग्राउंड रिपोर्ट 2025  तक ऐसी संभावनाओं को कभी स्वीकार नहीं करता। और ऊपर से पिछले  सवा साल में भारत की आर्थिक हालत   ‘कोरोना ‘ने और भी खराब कर दी हैं। हालात इतने खराब है ,कि कोरोना की दूसरी लहर का सामना  हम डट कर नहीं कर सके। 






सारी दुनिया के बड़े देशों के साथ केनिया तक ने मदद की ।चीन  पिछले तीन दशक से हमारे पड़ोसियों को आर्थिक मदद  दे कर उन देशों की विदेश नीतियों में दखल अंदाजी कर रहा है ।यानी हमारे देश की विदेश नीति को फ्लॉप कर रहा है। अभी हाल में हमारी विदेश नीति अफगान और फिलिस्तीन में लड़खड़ा गई ।पिछले 30 साल से जब से अफगानिस्तान अस्थिर हुआ है भारत ने तीन billion-dollar से ज्यादा धन उसके नव निर्माण में खर्च किया है। लेकिन अमेरिका, अशरफ गनी सरकार और तालिबान के बीच  बातचीत मे और अमेरिका की वापसी की बात जब चल रही थी, तो भारत हासिये पर दिखा ,अमेरिका ही नहीं तुर्की ,रूस और चीन ने भी अफगान संकट के बारे में जितनी पहले की ,उनमें भी भारत की भूमिका नगण्य  रही। उधर चीन व पाक, अफगानिस्तान के बारे में अब भारत की भाषा बोल रहा है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और चाइना के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान में कहा है, कि अमेरिका जल्दबाजी न करें, अपनी फौज को अफगानिस्तान में टिकाए रखें, क्योंकि चीन जानता है ,कि सत्ता तालिबान के हाथों में जाते ही चीन के उईगर  मुस्लिमों को उकसा कर ,उनके लिए नई सिरदर्द पैदा कर देगा ।और  तालिबान, पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के लिए समस्या पैदा करता ही रहा है ।

इसी तरह जब israel  व हमास मे  मुठभेड़ हुई तो, भारत सिर्फ जबानी जमा खर्च करता रहा, सुरक्षा परिषद में बोलते हुए भारतीय प्रतिनिधि ने फिलिस्तीन का परंपरागत समर्थन कर दिया। और फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत को तटस्थ घोषित कर दिया।  नतीजा   israel के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने जिन 25 देशो को समर्थन के लिए धन्यवाद दिया ,उन में भारत का नाम नहीं था। जबकि israel भारत का सामरिक ,व्यापारिक, वैज्ञानिक व तकनीकी मामले का साझेदार है, यानी हमारी विदेश नीति फेल है, पैसे हमारे पास है नहीं ,बौद्धिक संपदा को हम बचा कर रख नहीं पाते है ,चीन ने चारों ओर से घेर लिया है ,लेकिन फिर भी हम विश्व गुरु बनने की सोचते हैं …..बढ़िया है।






ये लेखक के निजी विचार है ।

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3 thoughts on “चीन चल रहा चतुर चाल, भारत को घेरने को ड्रैगन कई ‘नापाक’ योजना पर कर रहा काम -कुमार राहुल”

  1. बहुत प्रासंगिक और दूरदर्शी बातों को उठाया गया है। तथ्य तो पहले के तरह बहुत सटीक दिया गया है. धन्यवाद उच्च कोटि और करवा सच का बिम्ब दिखाने के लिए. आत्म अवलोकन जरूरी है।

  2. सामरिक दृष्टि से बेहद तथ्यपरख लेख,इतनी गंभीर विषय पर लिखने के लिए धन्यवाद?????

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चीन चल रहा चतुर चाल, भारत को घेरने को ड्रैगन कई ‘नापाक’ योजना पर कर रहा काम -कुमार राहुल

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