Search
Close this search box.

हैल्थ :कोरोना संक्रमित मरीज रहें सावधान ब्लैक फंगस का जोखिम हो सकता है,नीम के दातुन, फिटकरी के पानी व डिटॉल का करें इस्तेमाल

बेहतर न्यूज अनुभव के लिए एप डाउनलोड करें

  • दवा के साथ पड़ सकती है सर्जरी की जरूरत
  • डायबिटीज, कैंसर व किडनी के मरीज को के लिए जानलेवा

किशनगंज /प्रतिनिधि


कोविड संक्रमित व्यक्तियों में ब्लैक फंगस का असर देखने को मिला है. कोविड संक्रमण के प्रभाव के बाद ब्लैक फंगस के असर से भी सावधान रहने की बहुत अधिक जरूरत है. विशेषकर गंभीर रोग जैसे डायबिटीज, कैंसर व किडनी के रोगी जो कोरोना संक्रमित हुए हों, उनके लिए यह और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि ब्लैक फंगस का जोखिम ऐसे रोगियों को अधिक होता है. देश भर में म्यूकोरमायकोसिस के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। ब्लैक फंगस नामक इस रोग के लिये लंबी अवधि तक इस्तेमाल किया गया मास्क व नमी युक्त मास्क के उपयोग को भी रोग का कारण बताया जा रहा है। ब्लैक फंगस से बचाव को लेकर कोविड -19 नेशनल टास्क फोर्स व एक्सपर्ट ग्रुप द्वारा जारी दिशा निर्देश में गंभीर रोग से पीड़ित मरीजों को इस बीमारी से बचाव को लेकर खासतौर पर सतर्क रहने की अपील की गयी है। साथ ही रोग को लेकर किसी तरह के अफवाह व भ्रांतियों से बचने के लिये कहा गया है।

ब्लैक फंगस क्या है


ब्लैक फंगस से बचाव के बारे में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया फंगस को फंफूद भी कहा जाता है. वातावरण में नमी के कारण फंफूद पैदा होता है. अक्सर बरसात के मौसम में चमड़ा, रोटी, ब्रेड, फ्रीज, फल, सब्जी, गोबर आदि पर अक्सर फंफूद देखने को मिल जाते हैं.






गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को जोखिम अधिक:


डॉ श्री नंदन ने बताया ब्लैक फंगस को म्यूकरमाइकोसिस भी कहा जाता है. ब्लैक फंगस शरीर के जिन जगहों पर होते हैं, वहां कालानुमा हो जाता है. ब्लैक फंगस उनलोगों में होने की अधिक संभावना होती है जो कोरोना संक्रमित रहें हों, जिनका डायबिटीज लेवल बहुत अधिक हो, कैंसर और किडनी तथा एचआइवी के रोगियों सहित वे लोग जिनके इलाज में बहुत अधिक एंटीबायोटिक दवा चली हो, उनमें इसके होने का खतरा अधिक होता है.

नाक एवं आंख के हिस्से में दर्द को नहीं करें नजरअंदाज:


म्यूकोरमायकोसिस के संबंध में जानकारी देते हुए सिविल सर्जन श्री नंदन ने बताया पोस्ट कोविड पेसेंट जिन्हें इलाज के दौरान लंबे समय तक ऑक्सीजन लगाये जाने या मास्क लगाये रहने के कारण फंगल इंफेक्शन का खतरा होता है। म्यूकोरमायकोसिस एक फंगल संक्रमण है। संक्रमण की शुरूआत नाक से होती है। जो धीरे-धीरे आंखों में पहुंच जाती है। आंखों का लाल होना, डिस्चार्ज होना, कंजंक्टिवाइटिश के लक्षण इस रोग के कारण उभरते हैं। आंखों में असहनीय पीड़ा होती है। इसका असर आंख के रेटिना पर पड़ता है। इससे दृष्टि प्रभावित होने का खतरा होता है। धीरे-धीरे संक्रमण ब्रेन, नर्वस सिस्टम व हृदय तक पहुंच जाने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

दवा के साथ पड़ सकती है सर्जरी की जरूरत:


उन्होंने बताया ब्लैक फंगस को लेकर बहुत अधिक सावधान होने की जरूरत होती है. इससे प्रभावित होने पर दवा के साथ सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है. ब्लैक फंगस प्रभावित लोगों के लिए इसका खतरा इतना बढ़ जाता है कि संक्रमित जगह की सर्जरी भी करनी पड़ सकती है. आंखों में संक्रमण बढ़ने पर आंखों को निकालना पड़ सकता है, दांतों में संक्रमण होने पर दांत स्वत: निकल जाते हैं और जबड़ा में ब्लैक फंगस का संक्रमण होने पर उस हिस्से को काटना भी पड़ सकता है.







नीम का दातुन व फिटकरी पानी है उपयोगी:


ब्लैक फंगस से बचाव के लिए नीम का दातुन करने, बीटाडिन, डिटॉल और फिटकरी के पानी से मुंंह व हाथों की सफाई करने, रोगी को हमेशा ताजा भोजन करने, घर की फ्रीज को साफ रखने और उसे नियमित रूप से डिफ्रॉस्ट करने, कोविड के संक्रमित रहे रोगी घर में मौजूद पौधों के पास नहीं जाने आदि की सलाह दी गयी है. साथ ही कहा कि अपने शुगर की जांच करा कर उसे पूरी तरह कंट्रोल करें. इलाज के लिए मुख्य रूप से एलोपैथी दवाओं पर निर्भरता ही सही है. किसी भी स्थिति में स्वयं से अपना इलाज नहीं करें. लक्षणों आदि के दिखने पर टेलीमेडिसीन की मदद से चिकित्सीय परामर्श प्राप्त करें.


रोग से बचाव के लिये विशेष सावधानी जरूरी

ब्लैक फंगस से बचाव के लिये मास्क की नियमित सफाई के साथ-साथ इस्तेमाल किया जा रहा मास्क का पूरी तरह सूखा होना जरूरी है। कोरोना से उबरने वाले लोगों के लिये यह जरूरी है कि वह हर दिन मास्क को डिटॉल से धोयें व धूप में पूरी तरह इसे सूखाने के बाद ही इसका इस्तेमाल करें। अमूमन कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों को इसके संक्रमण का खतरा अधिक होता है। सिविल सर्जन ने कहा कि सभी मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के इलाज का समुचित इंतजाम किया गया है। उपचार के लिये दवा भी उपलब्ध हो चुका है। उन्होंने कहा ठंड, बुखार सहित कोरोना से जुड़े किसी अन्य लक्षण दिखने पर आपदा मित्र हेल्पलाइन नंबर 14410 व कोरोना हेल्पलाइन नंबर 1912 व हेल्थ हेल्पलाइन सेवा 104 पर जरूरी जानकारियों के लिये संपर्क किया जा सकता है।






आज की अन्य खबरें पढ़े :

हैल्थ :कोरोना संक्रमित मरीज रहें सावधान ब्लैक फंगस का जोखिम हो सकता है,नीम के दातुन, फिटकरी के पानी व डिटॉल का करें इस्तेमाल

× How can I help you?