श्री राम जन्मभूमि : वामपंथियों के नए पैंतरे

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देश / सुशील

श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के कार्य की स्वीकृति के पश्चात, भूमि समतलीकरण का कार्य चल रहा था, इसी क्रम में खुदाई में कई ऐतिहासिक महत्व के मंदिर के अवशेष भी मिलने शुरू हुए ।

इन अवशेषो में नक्काशीदार स्तंभ, 5 फिट लंबे शिवलिंग एवम कई अन्य हिन्दू परंपरा के चिन्ह प्राप्त हुए।

इन तश्वीरो के सोशल मीडिया में आने के बाद लोगों ने अन्य पक्ष के दावेदारों की जमकर खिंचाई करनी शुरू कर दी, यह विवाद चल ही रहा था कि वामपंथी विचारधारा वाले दल एवम गुट इस ऐतिहासिक भूमि पर किसी बौद्ध स्थल होने के दावों पर अपने नैरेटिव फैलाने शुरू कर दिए।

इसी विवाद क्रम में सीपीआईएम की सुभाषिनी अली ने 2010 में आये एक खबर को अभी ट्वीट कर सनसनी फैलाने की सोची।

यह खबर 2010 के जुलाई की थी, जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका “श्री राम जन्मभूमि को बौद्ध विहार” घोषित करने के लिए दायर इस याचिका को उन 13 याचिकाओं के साथ जो श्री राम जन्मभूमि के सम्बंध में थी, इन सबको सुनने के लिए स्वीकृति प्रदान किया था।

मालूम हो कि सन 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद दायर किये गए याचिकाओं में एक याचिका अयोध्या निवासी विनीत कुमार मौर्य ने भी डाली थी।

जुलाई 2010 को डाले गए याचिका में विनीत कुमार मौर्य ने इसे प्राचीन अयोध्या बौद्ध विहार के रूप में मान्यता देने के उद्देश्य से की थी ।

फिलहाल वामपंथी खेमे के कांग्रेसी नेता उदित राज ने भी इस विषय को बल देने के उद्देश्य से कई बातें कही, जिनमे चीनी यात्री फाह्यान के अयोध्या यात्रा में लिखे गए लेख जिनमे उसने लगभग 100 स्तूपों जिनका निर्माण अशोक के द्वारा हुआ था ।साथ ही खुदाई में प्राप्त पत्थर पर उकेरी गए चक्र को धम्म चक्र बताया है।

वैसे अगर समय रेखा को देखा जाए तो वामपंथी विचारधारा पहले ऐसे बातों को कहानियों के तौर पर बना कर चलने देता है, फिर इन्ही विचारों को दावों के साथ पेश करने लगते है और तथ्यात्मक पहलुओं की जगह वे अपने इस प्रोपगंडा को पुरातन बताते हुए इन्ही पूर्व के चपलता को साक्ष्य बताने लग जाते हैं ।

इनका सबसे अच्छा उदाहरण हमें देश मे रावण एवम महिषासुर के संदर्भ में भी दिखता है, पिछले कुछ वर्षों से चल रहे कहानियों के कारण देश मे रावण एवम महिषासुर को एक नायक के रूप में स्थापित करने के लिए गतिविधियाँ जोर शोर से चल रही है।

अब देखना यह होगा कि श्री राम जन्मभूमि के संबंध में चल रहे ऐसे किस्से कहानियों को यह वामपंथी विचारधारा कहाँ तक ले जाते हैं।

श्री राम जन्मभूमि : वामपंथियों के नए पैंतरे