किशनगंज /चंदन मंडल
भारत नेपाल सीमा से सटे इलाकों में रहने वाले ग्रामीण जिनका नेपाल से रोटी और बेटी का संबंध है आज कल कठिनाइयों से गुजर रहे है ।
जिले के ठाकुरगंज प्रखंड के गलगलिया एवं बंगाल के डांगुजोत , पानीटंकी यह सभी भारत-नेपाल की सीमा से सटा हुआ है और यहां से सिर्फ आधा किमी की दूरी पर नेपाल है। इन क्षेत्रों में रहने वाले सैकड़ों लोग रोजी रोटी के लिए नेपाल पर निर्भर है तो वहीं बड़ी संख्या में नेपाली नागरिक भी हाट बाजार करने भारतीय इलाकों में आते है ।लेकिन कोरो ना कि वजह से सीमा सील हुई तो 6 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद अभी तक नहीं खुली है । जिससे ना सिर्फ रोजी रोटी बल्कि रिश्तों में भी दूरियां बढ़ी है ।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है की हम लोग हर दिन बॉर्डर खुलने का इंतजार करते है ताकि अपने रिश्तेदारों से खुल कर मिल सके और रोजगार के लिए भी आवागमन हो सके ।लेकिन सरकार द्वारा किसी तरह की कोई सूचना अभी तक बॉर्डर खुलने को लेकर नहीं दी गई है जिससे परेशानी बढ़ी है ।
ग्रामीणों ने बताया कि भारत नेपाल सीमा बंद हुए इतने दिन हो गए क्या भारत सरकार या नेपाल सरकार कुछ सरकारी गाइडलाइंस जारी करके बॉर्डर नहीं खोली सकती है ? हमलोगों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। हमलोगों का नेपाल से ही रोजी रोटी चलता है। अब अगर बॉर्डर नहीं खुली तो हमलोगों को भूखे मरने की नौबत आ जाएगी। बता दें कि भारत नेपाल सीमा से आवाजाही बंद हुए सात (7) महीने से भी ज्यादा वक्त हो गए हैं। कोरोना के कारण सीमा पर आवाजाही ठप है।
लोगों के बीच थोड़ी दूरी बनी हुई है , भारत – नेपाल में रह रहे रिश्तेदारों को मिलने जुलने में परेशानी हो रही है। सीमावर्ती इलाके और नेपाल में जिन भारतीयों का व्यापार है उनकी दिक्कतें बढ़ी है। उनका व्यापार कोरोना वायरस को लेकर ठप है। इधर सीमा पर आवाजाही ठप होने से बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्र पानीटंकी व डांगुजोत बाजार तथा किशनगंज जिले के गलगलिया व भातगांव बाजार भी सुनसान है, वहीं नेपाल के बिर्ता मोड़ स्तिथ भारतीय ग्राहकों पर आश्रित आंख अस्पताल सहित कई पर्यटक स्थल सुनसान है। सीमा सील रहने के कारण , बेटी- रोटी के सम्बंध पर भी प्रभाव साफ साफ दिख रहा है ।