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1972 से सुहिया में है माँ दुर्गा का मंदिर , श्रद्धालुओं की आस्था का है केंद्र

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सुहिया दुर्गा मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा।

पुरानी परंपरा के अनुसार मां की होती आ रही है पूजा

टेढ़ागाछ/किशनगंज/मनोज कुमार

टेढ़ागाछ प्रखंड के सुहिया दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार आस्था है। बताया जाता है कि यहां आजादी के बाद ही स्थानीय लोगों ने 1947 में पहली बार मंदिर की स्थापना कर मां की पूजा शुरू की थी, लेकिन 1972 में बैगना स्टेट के राजा हसन मियां ने यहां मां दुर्गा का पक्का मंदिर का निर्माण कराया। लेकिन कुछ वर्षों के बाद यह मंदिर रेतुआ नदी के कटाव की भेंट चढ़ गयी।

फिर स्थानीय ग्रामीणों ने पुनः मंदिर का निर्माण कराया और आजतक यहां सालों भर नित्य दिन पूजा-अर्चना, स्तुति-विनति, संध्या आरती होती है। मंदिर में मां की पूजा प्रतिमा, लाइटिंग आदि कार्य के लिए सामाजिक सहयोग लिया जाता है। यहां पूरी सादगी व विधि विधान के साथ पुराने परंपरा के अनुसार मां की पूजा होती चली आ रही है।

मंदिर में अटूट आस्था : सुहिया दुर्गा मंदिर में भक्तों की अटूट आस्था है। जो जिस मनोकामना के साथ पहुंचता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। शारदीय व चैत्र नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना होती है। इसके अलावा यहां प्रतिदिन सुबह-शाम मां की पूजा व आरती की जाती है। नवरात्र के अष्टमी व नवमी को मां के दरबार में हाजरी लगाने के लिए अहले सुबह से ही भक्तों की भीड़ जुटने लगती है।

पहले दिन से ही मां के दर्शन के लिए पट खुल जाते हैं। पुजारी विनोद यादव, पंडित शंकर ठाकुर व समिति से सदस्य अनिरुद प्रसाद साह, रंजीत कुमार साह, सुनील साह, तरुण साह, दीपेश कुमार साह, अनिल साह, संजय कुमार साह, झड़ी लाल साह, सागर सहनी, सुमन कुमार, रंजीत कुमार यादव, शंभू साहनी,उमेश साह, अर्जुन साहनी, वीरेंद्र यादव, भोला साह, सहित कमेटी सदस्य सक्रिय रहते हैं।

1972 से सुहिया में है माँ दुर्गा का मंदिर , श्रद्धालुओं की आस्था का है केंद्र

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