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किशनगंज सदर अस्पताल में 57 लाख रुपए का गबन ,मामले का खुलासा होने के बाद मचा हड़कंप,ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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2016 से ही चल रहा था गबन का पूरा खेल

किशनगंज/राजेश दुबे

किशनगंज सदर अस्पताल में बड़े घोटाले का मामला उजागर हुआ है ।सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में 57 लाख 74 हजार 311 रुपए का वित्तीय अनियमितता का मामला आया सामने। ब्लड बैंक के एक कर्मी 9 साल में प्रोसेसिंग फी के रुपए को सरकारी खाते में जमा नहीं कर खुद डकार गए। मामले का खुलासा सदर अस्पताल के ऑडिट के दौरान हुआ। वर्ष 2016 से 2024 के अप्रैल माह तक ब्लड बैंक के प्रोसेसिंग फी की राशि ब्लड बैंक के कर्मी अशोक कुमार ठाकुर के द्वारा नहीं जमा करवाया गया था।

जो राशि 9 साल में 57 लाख 74 हजार 311 रुपए हो चूका था।मामले का खुलासा होने के बाद स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया। ऑडिट के बाद अस्पताल प्रशासन के दबाव के कारण अशोक कुमार ठाकुर ने 12 लाख रुपए जमा करवाया है। वहीं बाकी 47 लाख 74 हजार 311 रुपए अबतक जमा नहीं किया गया हैं। अशोक कुमार ठाकुर ने मामले का खुलासा होने के बाद 29 अप्रैल को एक लाख रुपए, 27 जून को एक लाख और 25 जुलाई को 10 लाख रुपए कूल 12 लाख रुपए जमा किए हैं। वहीं सिविल सर्जन ने 26 जुलाई तक पूरा राशि जमा करने का निर्देश दिया था लेकिन जमा नहीं किया गया जिसके बाद विभागीय कारवाई की बात कही जा रही है।

सदर अस्पताल में ऑडिट टीम के द्वारा 13 मई से 25 मई तक ऑडिट किया गया था इसके बाद 25 मई को ऑडिट रिपोर्ट के दौरान ब्लड बैंक के कर्मी अशोक कुमार ठाकुर के वित्तीय अनियमितता करतूत का पता अस्पताल प्रशासन को चल गया था जिसके बाद से ही अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मामले में कार्रवाई के जगह मामले को दबाकर उक्त कर्मी से रुपए की रिकवरी के लिए दबाव बनाने लगे लेकिन कर्मी के द्वारा पदाधिकारी के द्वारा दिए गए समय सीमा के अंदर रुपए को जमा करने में नाकाम रहे।

ब्लड बैंक के कर्मी अशोक कुमार ठाकुर लंबे समय से ब्लड बैंक में कार्यरत है और इसकी बहाली पटना के बीएसएसीएस के द्वारा 2007-08 में लैब टेक्नीशियन के पद पर किया गया था वहीं इसका सैलरी पटना से मिलता था सदर अस्पताल प्रशासन अशोक कुमार ठाकुर का अनुपस्थिति को ही पटना भेजता था।

ब्लड बैंक में कोई भी खून लेने आने पर प्रोसेसिंग फी के नाम पर 500 रुपए का रसीद काटा जाता है जो रजिस्टर सहित अन्य जगहों पर रुपए का रिकॉर्ड रहता है और उक्त रुपए को सरकारी खाते में बैंक में जमा करवाया जाता है लेकिन ब्लड बैंक के कर्मी अशोक कुमार ठाकुर के द्वारा वर्ष 2016 से इस राशि को मनमर्जी तरीके से अपने हित में इस्तेमाल करते आ रहे थे।

हालांकि इस बीच उन्होंने कुछ रुपए कुछ जमा तो करवाया था जिसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को पूर्व से ही था जिस वजह से अस्पताल प्रशासन ने वर्ष 2021 में पत्रांक 465 दिनांक 16-4-21 को पत्र भेज कर रुपए जमा करने का निर्देश अस्पताल उपाधीक्षक के द्वारा दिया गया था इसके बाद फिर 2021 के 5 जुलाई को एक रिमाइंडर नोटिस पत्रांक 878 भेजा गया इसके बाद भी अशोक कुमार ठाकुर ने रुपए को जमा नहीं करवाया।

हालांकि इसके बाद कोरोना कल की वजह से अस्पताल प्रशासन ने भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया फिर 2023 के 28 जुलाई को पत्रांक 1110 भेजकर बकाया राशि को सरकारी खाते में जमा करने का निर्देश अस्पताल प्रशासन के द्वारा दिया गया लेकिन इसके बाद भी ब्लड बैंक कर्मी के द्वारा राशि को जमा नहीं करवाया गया।

हालांकि अस्पताल प्रशासन 2024 के 7 मार्च को भी पत्रांक 304 भेज कर रुपए जमा करने का निर्देश दिया था। कई सालों से लगातार पत्राचार करने के बाद भी ब्लड बैंक कर्मी ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और सरकारी रुपए को निजी स्वार्थ में इस्तेमाल कर लिया।वही इस बार ऑडिट के दौरान पूरा मामला सामने आया। कोई ऑडिट के बाद फिर से 29 मई को पत्रांक 641 भेज कर अस्पताल प्रशासन ने रुपए को जमा करने का निर्देश दिया इसके बाद कर्मी ने तीन बार में 12 लाख रुपए जमा किए।

अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन ने बताया मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन पूर्व से ही पत्राचार करते आ रहे हैं उन्हें पत्राचार के माध्यम से कई बार रुपए को जमा करने का निर्देश दिया गया था।

सिविल सर्जन ने बताया मामले की जानकारी कुछ दिनों पूर्व ऑडिट के दौरान पता चला इसके बाद से हम लोगों ने रुपए की रिकवरी में लग रहे और रुपए की रिकवरी को लेकर उनको दबाव दिया वहीं अब तक 12 लाख रुपए जमा किया है ब्लड बैंक कर्मी को 26 जुलाई तक पूरा राशि जमा करने का निर्देश दिया गया था। वही पूरा राशि जमा नहीं किया है अब आगे अगरतला करवाई किया जाएगा।

किशनगंज सदर अस्पताल में 57 लाख रुपए का गबन ,मामले का खुलासा होने के बाद मचा हड़कंप,ऑडिट रिपोर्ट में हुआ खुलासा

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