किशनगंज /प्रतिनिधि
जिलाधिकारी तुषार सिंगला ने जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता के साथ पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मानसून के आगमन के साथ नदियों के कटाव से बचने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
उन्होंने बताया की जिला अंतर्गत मानसून के आगमन के साथ ही नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। जिला अन्तर्गत माह जुन 2024 में कुल औसत अभी 400.38 मि.मी. वर्षापात हुआ है।ज्ञातव्य हो कि किशनगंज जिला में महानंदा, मेची, डोक, बुढ़ी कनकई, पश्चिमी कनकई तथा रतवा छह प्रमुख नदियाँ प्रवाहित होती है। इनमें महानंदा नदी एवं डोक नदी पश्चिम बंगाल से तथा मेची, बुढ़ी कनकई, पश्चिमी कनकई एवं रतवा नदी नेपाल से बिहार में प्रवेश करती है। जिले में बाढ़ से सुरक्षा हेतु महानंदा नदी के बाए तट पर दो तटबंध निर्मित है। डा० कलाम कृषि महाविद्यालय सुरक्षा तटबंध अर्राबाड़ी (लम्बाई 6.56 कि.मी.), एवम गाछपाड़ा-मौजाबाड़ी तटबंध (लम्बाई 4 कि.मी०) है।
इन दोनों तटबंधों के पास कटाव से सुरक्षा हेतु वन विभाग के सहयोग से वन लगाने का कार्य किया जा रहा है तथा इन क्षेत्रों में मनरेगा अंतर्गत भी वृक्षारोपण करने हेतु पंचायत से अनुरोध किया गया है।
बाढ़ से सुरक्षा हेतु दोनों तटबंधों पर बाढ़ संघर्ष आत्मक सामग्रियां तथा 5000 ई सी बैग्स का भंडारण किया जा रहा है जिससे तटबंधों पर पानी का दबाव बढ़ने पर तुरंत इसका प्रयोग किया जा सके।
इन तटबंधों के सुरक्षा एवं निगरानी हेतु कुल 09 अदद् स्थानीय श्रमिकों को रखा गया है जो 24 घंटे तठबंध की सतत निगरानी करते है, साथ ही जल स्तर की सूचना सुबह एवं शाम को कनीय अभियंता को उपलब्ध कराते है। जिससे नदियों के जलश्राव में हो रही वृद्धि एवं कमी ज्ञात हो पाता है।
इस जिले में केंद्रीय जल आयोग के द्वारा स्थानीय दो गेज स्टेशन है जो महानंदा नदी में तैयबपुर में है, तथा मेची नदी में गलगलिया के पास है जिससे जलश्राव में वृद्धि एवं कमी की जानकारी हो पाती है।
जिले में बाढ़ एवं करतब हेतु संवेदनशील स्थानों का चयन किया गया है और इन स्थानों पर बाढ़ संघर्ष आत्मक सामग्रियों का भंडारण किया जा रहा है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्यवाही किया जा सके। प्रमंडल अंतर्गत भंडार में कुल 571266 ई सी बैग 11406 एन सी बैग 2000 जिओ बैग तथा 65 पर्कोपाइन सेट का भंडारण कर लिया गया है।