किशनगंज /राजेश दुबे
बंगाल में रंगापानी स्टेशन के करीब सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस ट्रेन में सोमवार सुबह एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई वहीं, करीब 30 लोग घायल हो गए। इस घटना ने गायसल ट्रेन दुर्घटना की याद को ताजा कर दिया है।मालूम हो की दोनो ही दुर्घटनाओं में समानता है ।शुरुआती जांच के मुताबिक सोमवार को रंगा पानी में हुए दुर्घटना में भी सिंगनल की खराबी सामने निकल कर आई है ।बताया जा रहा है की सिंगनल में खराबी के बावजूद स्टेशन मास्टर के द्वारा सभी लाल सिंगनल पार करने का अधिकार दिया गया था।
जबकि गायसाल दुर्घटना का भी मुख्य कारण सिंगनल में खराबी और गलत इंटर लॉकिंग बताई गई थी। गौरतलब हो की 2 अगस्त 1999 की मध्य रात्रि को किशनगंज से सिर्फ 25 किलोमीटर की दूरी पर हुए गायसाल ट्रेन हादसे में अवध असम एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल की टक्कर हुई थी.टक्कर इतनी जोरदार थी की ट्रेन की कई बोगियां एक दूसरे के ऊपर चढ़ गई थी।
इस हादसे में 300 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 600 से ज्यादा घायल हुए थे हालाकि स्थानीय लोगो के मुताबिक 1000 से अधिक लोगो की मौत हुई थी।
दुर्घटना के बाद तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था की यह मानवीय भूल के साथ साथ आपराधिक घटना भी है ।दुर्घटना के बाद कई रेल कर्मियों की लापरवाही खुल कर उजागर हुई थी ।गाइसाल ट्रेन दुर्घटना की जांच करने वाले एक सदस्यीय (जस्टिस जी एन रॉय) आयोग ने 2001 में इस हादसे को ‘मानवीय त्रुटी’ बताया.
जस्टिस रॉय ने नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के 35 रेलवे अधिकारियों पर ज़िम्मेदारी तय की. जिसमें 17 मुख्य रूप से और आठ सेकेंड्री रूप से जिम्मेदार थे।10 अधिकारियों को दोषपूर्ण बताया गया जिसमें अवध असम एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल के चालक और सह-चालक शामिल थे।
सोमवार को हुए हादसे ने फिर कई सवाल को खड़ा कर दिया है की क्या यह सिर्फ मानवीय भुल है या फिर कोई गहरी साजिश ?मालूम हो की रेल हमेशा से देश विरोधी ताकतों के टारगेट में रहा है ।
मालगाड़ी ने जिस तरह पीछे से कंचनजंघा एक्सप्रेस में टक्कर मारी है उसके बाद मानवीय एवं तकनीकी भूल के साथ साथ इस दिशा में भी जांच किए जाने की जरूरत जान पड़ती है ।हादसे के जो भी दोषी हो उन पर सख्त कारवाई आवश्यक है ताकि ऐसी घटनाओं के पुनरावृत्ति को रोका जा सके।