अररिया /अरुण कुमार
बिहार सरकार शिक्षा में सुधार के लाख दावे करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है ।कई विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव साफ दिखता है।मालूम हो की फारबिसगंज के प्राथमिक विद्यालय ढलाई दास टोला में टीन के छोटे से शेड में महादलित समुदाय के 179 बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है। भीषण ठंड में नौनिहाल जमीन पर पठन पाठन करते हैं।
विद्यालय को अपनी जमीन तो है लेकिन न तो विद्यालय जाने के लिए रास्ता है और न ही भवन है जिसके कारण बच्चों को पढ़ाई करने में काफी परेशानी होती है , टीन के एक छोटे से शेड में कक्षा 1 से लेकर 5 तक की पढ़ाई होती है वो भी सिर्फ एक बोर्ड के भरोसे , बरसात के दिनों में बच्चों को इस टीन के शेड में खड़े रहकर समय बिताना पड़ता है, चारो तरफ से शेड खुला रहने के कारण ठंड के दिनों में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है ।
शिक्षको ने कहा की विद्यालय में कुल 5 शिक्षक कार्यरत हैं जिनके कंधों पर कुल 179 बच्चों की जिम्मेदारी है, विद्यालय तक आने जाने का रास्ता भी नही है ना ही विद्यालय में शौचालय तक कि व्यवस्था है जिसके कारण यहां पढ़ने वाले बच्चों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है ।यही नहीं स्कूल के अंदर कुत्ते प्रवेश कर जाते हैं बच्चों के बीच में बैठ जाते हैं।जिसमे उन्हें काफी शर्मिंदगी महसूस होती है, भवन और बोर्ड के अभाव में विद्यालय के शिक्षक भी किसी तरह से बच्चों को पढ़ा पाते हैं ।विद्यालय के शिक्षको ने कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों तक से विद्यालय की दुर्दशा को लेकर गुहार लगाया है लेकिन कोई सुनवाई नही हो रही है। शिक्षको और अभिभावकों ने सरकार और प्रशासन से विद्यालय में भवन निर्माण करवाए जाने की मांग की है ।