देश/डेस्क
पीएम मोदी ने शुक्रवार को नई शिक्षा नीति पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कि देश की नई शिक्षा नीति को भारत के हर व्यक्ति के स्वाभिमान को बरकरार रखते हुए तैयार किया गया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस शिक्षा नीति को केवल कागजों पर ही बना लेना काफी नहीं है बल्कि इसको सही तरीके से लागू करना एक बड़ी चुनौती है।
इसके लिए लगातार विचार विमर्श करना होगा सहीं सुझावों को मानना होगा और उनके लागू करने की रणनीति और रोडमैप तैयार करना होगा। अपने इस संबोधन में उन्होंने इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर के कस्तूरीरंगन और उनकी टीम को इस शिक्षा नीति को तैयार करने के लिए विशेषतौर पर बधाई भी दी। उन्होंने कहा अब तक की शिक्षा वाट टू थिंक पर फोकस रही थी लेकिन अब की शिक्षा नीति में हाऊ टू थिंक पर बल दिया जा रहा है।
ये काम आसान नहीं था।मालूम हो कि पीएम अपने ये विचार देशभर की यूनिवर्सिटी के कुलपतियों, उच्च शिक्षण संस्थानों के निदेशकों और कालेजों के प्राचार्यो को संबोधित करते हुए रखे हैं । इस दौरान शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे और नीति को तैयार वाली कमेटी के अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन भी मौजूद रहे। इस कॉन्क्लेव का आयोजन मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने किया था। इस दौरान नई शिक्षा नीति, भविष्य की शिक्षा, रिसर्च जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। इसको भविष्य की नींव को मजबूत करने की नीति करार दिया है।
पढ़िए पीएम मोदी द्वारा कहीं गई कुछ प्रमुख बातो को ।
पीएम मोदी ने इस कॉन्क्लेव को बेहद अहम बताते हुए कहा कि इससे नई शिक्षा नीति एनईपी की विस्तृत जानकारी मिलेगी। जानकारी जितनी स्पष्ट होगी उतना ही आसान इसको लागू करना भी होगा। 3-4 साल के विचार-विमार्श और मंथन के बाद इसको स्वीकृत किया गया है। आज देशभर में इसकी चर्चा हो रही है। अलग-अलग विचारधारा और क्षेत्र के लोग इस पर अपने विचार दे रहे हैं, और एक हेल्दी डिबेट हो रही है। इसका लाभ इस नई शिक्षा नीति (एनईपी) को मिलेगा।
उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति के इआने के बाद किसी भी वर्ग से ये बात सामने नहीं आई कि इसमें कोई भी चीज एकतरफा है। ये दिखाता है कि देश में वर्षों से चली आ रही एनईपी में जो बदलाव देखना चाहते थे वो हो रहा है। ये एक अच्छा संकेत है। हालांकि कुछ लोगों के मन में इसको लागू करने को लेकर सवाल जरूर हैं। इसको देखते हुए व्यवस्थाओं को बनाने में सुधार की जरूरत जहां होगी उसको करना होगा।
पीएम मोदी ने नई शिक्षा नीति के निर्माताओं से कहा कि आप सभी इसको लागू करने में सीधेतौर पर जुड़े हैं। आपकी भूमिका काफी अधिक है। जहां तक राजनीतिक नेतृत्व की बात है तो मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं। हर देश अपने गोल के मुताबिक शिक्षा में सुधार कर आगे बढ़ता है। इसका मकसद केवल यही होता है कि देश की शिक्षा नीति देश को भविष्य के लिए तैयार करे। भारत की शिक्षा नीति का आधार भी यही है।
नई शिक्षा नीति (एनईपी) 21वीं सदी की नई फाउंडेशन तैयार करेगी। 21वीं सदी के भारत के युवाओं को जो शिक्षा चाहिए उसको ये नीति मुहैया करवाएगी। इसका फोकस भी इस पर ही है। इसके अलावा इस नीति में देश को ताकतवर बनाने, विकास की नई ऊंचाई पर पहुंचाने, नौजवानों को ज्यादा अवसर दिलाने पर खास जोर दिया गया है। इस नई शिक्षा नीति के बाद भारत का छात्र तेजी से बदलते समय और अपनी जरूरतों के हिसाब से पढ़ सकेगा और देश को खड़ा करने में अहम भूमिका निभा पाएगा।
बीते कई वर्षों में शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं हुए इसकी वजह से केवल आगे बढ़ने की होड़ लगी रही। वर्तमान में इंट्रेस्ट, एबिलिटी और डिमांड की मैपिंग किए जाने की जरूरत है। हमारे छात्रों क्रिटिकल और इनोविटिव थिंकिंग के अलावा पर्पज ऑफ एजूकेशन की फिलोस्फी के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें केवल जानकारी नहीं देती बल्कि हमारे जीवन में सदभाव भी लाती है। एनईपी का लक्ष्य इससे ही जुड़ा है। इसके लिए टुकड़ों में सोचने की बजाए व्यापाक सोच की जरूरत है। इसको स्पष्ट रूप से सामने रखने में नई शिक्षा नीति सही रही है।
NEP जब आज मूर्त रूप ले चुकी है तो सवाल ये है कि क्या ये नीति क्रिएटिव कमिटमेंट करती है। इस सवाल का जवाब आप बेहतर जानते हैं। इसके अलावा हमारे सामने एक सवाल ये भी था कि क्या ये शिक्षा नीति एमपांवरमेंट करती हैं। इसका भी जवाब आप बेहतर जानते हैं। मुझे संतोंष है कि एनईपी को बनाते समय इन सवलो पर गंभीरता से काम किया गया। बदलते समय के साथ एक नई विश्व व्यवस्था खड़ी हो रही है। ग्लोबल स्टेंडर्ड तैयार हो रहा है। इसके लिए भारत की शिक्षा में बदलाव जरूरी थी।
जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे।
इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में student education और Dignity of Labour पर बहुत काम किया गया है: PM
जड़ से जग तक,
मनुज से मानवता तक,
अतीत से आधुनिकता तक,
सभी बिंदुओं का समावेश करते हुए, इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति का स्वरूप तय किया गया है ।
साथ ही पीएम ने इस मौके पर कहा कि
आज गुरुवर रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है।
वो कहते थे – “उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।”
निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है ।