किशनगंज /विजय कुमार साह
प्रखंड अंतर्गत चिल्हनिया पंचायत के दर्जन भर गांव के लोगों को पुल नहीं रहने से विभिन्न प्रकार की परेशानियों से जूझना पड़ता है। हर दिन जिदगी से जद्दोजहद करना पड़ता है। नदी के आसपास के दर्जन भर गांव की हजारों की आबादी पुल नहीं होने से बुरी तरह प्रभावित हैं। विकास से पूरी तरह वंचित हैं। सड़क तो है पर चलने लायक नहीं है। सड़क कीचड़ में तब्दील हो चुका है। पुल-पुलिया की जगह तालाब बन चुका है। कई घर रेतुआ नदी के गर्भ में समा चुका है और कुछ घर व उपजाऊ भूमि पेड़ पौधे कटाव के जद में आ चुका हैं। लोग बांस बल्ले के बने चचरी पुल या फिर नाव के सहारे जान जोखिम में डालकर जीवन जीने को मजबूर और लचार हैं।
बताते चले कि चैनपुर, देवरी, आमबाड़ी, खजूरबाड़ी, सुहिया, संथाल टोली, अमात टोली, रहमतपुर, उत्तरवाहिनी, कास्त खर्रा, दुर्गापूर, तेघरिया आदि गांव के लोग मुलभुत सुविधाओं से वंचित एवं उपेक्षित है। सुहिया गांव और हाट टोला रेतुआ नदी के कटाव के चपेट में है। ग्रामीण बताते हैं कि इस क्षेत्र की सुध लेने वाला कोई नहीं है। ग्रामीणों ने रेतुआ नदी के तांडव का नजारा व कटाव स्थल को दिखाते हुए जिला प्रशासन एवं सांसद और विधायक से इस क्षेत्र की सुध लेने की मांग की है। समय रहते तटबंध निर्माण के साथ-साथ आवागमन की सुविधा व जगह-जगह ध्वस्त हुए सड़कों पर अतिशीघ्र डायवर्सन निर्माण की मांग की है।
हर चुनाव में मुद्दा बनता है इलाके की समस्या – सुहिया घाट एवं सुहिया हाट ये दोनो चुनाव के समय चर्चा में खूब बने रहते हैं। सभी दल सुहिया हाट पहुंच कर लंबे लंबे भाषण और ढेर सारे वादे करते हैं। चुनाव जाते ही आज तक सारे वादे धरे के धरे रह जाते हैं। इन्द्रनानंद मंडल, फूल कुमार मंडल, बाबू लाल मंडल आदि ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. मो. तसलीमुद्दीन व बिहार के उद्योग मंत्री सैयद शहनवाज हुसैन ने भी सुहिया हाट में रेतुआ नदी पर पुल बनाने का भरोसा दिया। पर आज तक पुल नहीं बन सका और न ही तटबंध निर्माण का हीं काम हो पाया है। यह क्षेत्र आज भी आजादी के इतने वर्ष बाद भी आवागमन से लेकर सभी प्रकार के मूलभूत सुविधाओं से वंचित एवं अछूता है।
बरसात के मौसम में इन क्षेत्र के लोगों का हाल बिल्कुल नारकीय हो जाता है। विकास से कोसों दूर इस इलाके में आज तक पुल निर्माण, तटबंध निर्माण, आवागमन जैसी सभी तरह की मुलभुत सुविधाओं पर कभी कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। पीने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं, आवागमन की सही सुविधा नहीं और शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछड़ा है। इस क्षेत्र को अगर मिला तो आज तक केवल भरोसा मिला है लेकिन अब भी हर बरसात मे यह क्षेत्र टापू में दब्दील हो जाता है।