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पोषण के पांच मंत्रों से लगेगी कुपोषण पर लगाम, आंगनबाड़ी केंद्रों पर मनाया जा रहा है पोषण माह

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आंगनवाडी केन्द्रों में सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है ।


गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन का सेवन महत्वपूर्ण


किशनगंज /प्रतिनिधि

कुपोषण मुक्त समाज निर्माण के लिए हर वर्ग के बच्चों से लेकर हर आयु वर्ग के लोगों को उचित पोषण, रहन-सहन में बदलाव करना आवश्यक है जिससे बच्चे का सर्वागीण शारीरिक और मानसिक विकास हो। इसके लिए जिले के सभी आंगनवाडी केन्द्रों में सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। डीपीओ मंजूर आलम ने बताया इस दौरान आईसीडीएस और स्वास्थ्य विभाग की ओर से सामुदायिक स्तर पर तमाम गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

पोषण माह का मुख्य उद्देश्य देश के बच्चों, किशोरों एवं महिलाओं को कुपोषण मुक्त, स्वस्थ और मजबूत बनाना है। यह काम विभिन्न सरकारी विभागों के समंवय से होगा। लोगों को सही पोषण के लिए जागरूक करने के साथ ही गर्भावस्था में और बच्चों का ऊपरी आहार, खानपान के प्रति सजग होने, शिशु जनित रोगों से मुक्ति के लिए सही जानकारी जिले के आन्गंवारी केन्द्रों में गृह भेट एवं जागरूकता अभियान के माध्यम से दिया जा रहा है । पोषण माह का मुख्य उद्देश्य देश के बच्चों, किशोरों एवं महिलाओं को कुपोषण मुक्त, स्वस्थ और मजबूत बनाना है।







पोषण के पांच सूत्रों को जन-जन तक पहुंचाने की कवायद:


कोचाधामन प्रखंड में कार्यरत महिला पर्यवेक्षिका प्रीति कुमारी ने बताया पूरे सितंबर माह प्रतिदिन सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में कुपोषण को दूर करने के लिए पोषण के पांच सूत्र तैयार किये गये हैं। पहला सुनहरा 1000 दिन, डायरिया प्रबंधन, पौष्टिक आहार, स्वच्छता एंव साफ-सफाई, एनिमिया प्रबंधन शामिल है। इन पांच सूत्रों से कुपोषण पर लगाम लगाने की तैयारी की गयी है।जिले के सभी प्रखंडों के आंगनबाड़ी केंद्रों के साथ कोचाधामन प्रखंड के आंगनवाड़ी केंद्रों में रंगोली बनाकर , पोषण वाटिका तथा रैली के माध्यम से कार्यक्रम का सफ़ल संचालन किया जा रहा है। इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए आंगनबाड़ी केन्द्र स्तर पर विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करना है।







गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन का सेवन महत्वपूर्ण:


कोचाधामन प्रखंड में कार्यरत महिला पर्यवेक्षिका रूबी कुमारी ने बताया बच्चे के विकास के लिए सही पोषण बहुत महत्वपूर्ण है। खासकर शुरुआती वर्षों के दौरान। गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक भोजन लेना महत्वपूर्ण है। इससे बच्चे की सेहत भी जुड़ी होती है। जन्म के बाद भी बच्चे को दो साल तक केवल पौष्टिक आहार ही देना चाहिए। गर्भावस्था और जन्म के बाद के शुरुआती वर्ष मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण अंगों के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। बच्चे के संपूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए विटामिन, कैल्शियम, आयरन, वसा और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार बच्चे को देना बहुत महत्वपूर्ण है।


विभिन्न स्तर पर संचालित गतिविधियों को किया जा रहा अनुश्रवण :


जिला पोषण समन्वयक मंजूर आलम ने अभियान के संबंध में जानकारी देते हुए बताया पोषण माह के दौरान जिले के सभी परियोजना कार्यालय व संबंधित अन्य विभागों की मदद से निर्धारित कैलेंडर के मुताबिक उचित पोषण को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही है। आयोजित गतिविधियों को विभागीय निर्देश के मुताबिक विभाग के जन आंदोलन डैशबोर्ड पर किया जा रहा है। महिला पर्यवेक्षिका, प्रखंड समन्वयक, परियोजना सहायक के द्वारा पोषण अभियान से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों की लगातार मॉनेटरिंग की जा रही है। इस क्रम में स्थानीय स्तर पर आसानी से उपलब्ध होने वाले खाद्य पदार्थ के नियमित सेवन के लिये लोगों को प्रेरित व जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।


पोषण माह में सभी आंगनवाडी केन्द्रों में दी जा रही है जानाकरी:


• जन्म के छह माह तक सिर्फ माँ का दूध पिलायें
• छह माह के बाद बच्चों को पूरक आहार दें
• गर्भवती होने पर आंगनबाड़ी केंद्र पर रजिस्टेशन करायें
• बच्चों को खाना खिलाते समय साफ-सफाई का ध्यान रखें
• गर्भावस्था के दौरान पौष्टिक आहार का सेवन करें
• गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली जरूरी लेनी चाहिए






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